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RAM MANDIR GOLDEN DOOR: अयोध्या के राम मंदिर में लगा सोने का दरवाज़ा

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RAM MANDIR GOLDEN DOOR: अयोध्या के राम मंदिर में लगा पहला सोने का दरवाज़ा। दिव्य और भव्य है राम मंदिर। अब भक्तों को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का इंतज़ार है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण 25 सौ साल पुरानी शैली में हो रहा है।
डिजाइन से लेकर निर्माण तक में जुटी शख्सियतों का कहना है कि राममंदिर भविष्य के अन्य मंदिरों के निर्माण के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा।

श्रीराम मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बलवंतराय सोमपुरा, मंदिर निर्माण से जुड़े कार्यों की निगरानी के लिए बतौर विशेषज्ञ नियुक्त किए गए इंजीनियर तथा डिजाइन एवं कंस्ट्रक्शन प्रमुख गिरीश सहस्त्रभोजनी और प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आफले का कहना है कि सब श्रीराम की कृपा है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: अनुपम व अनूठे डिजाइन पर रामलला का जो दिव्य और भव्य मंदिर आकार ले रहा है, बिना ईश्वर की कृपा के संभव नहीं था। एक तो यहां की मिट्टी मंदिर की कसौटी के लिहाज से उपयुक्त नहीं थी। दूसरी ओर तय किए गए डिजाइन पर बीते 600 वर्षों में कोई मंदिर नहीं बना था। करीब 2500 साल पुरानी नागर शैली में बन रहे मंदिर की डिजाइन से लेकर निर्माण तक में जुटी शख्सियतों का कहना है कि राममंदिर भविष्य के अन्य मंदिरों के निर्माण के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा।

श्रीराम मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत बलवंतराय सोमपुरा, मंदिर निर्माण से जुड़े कार्यों की निगरानी के लिए बतौर विशेषज्ञ नियुक्त किए गए इंजीनियर तथा डिजाइन एवं कंस्ट्रक्शन प्रमुख गिरीश सहस्त्रभोजनी और प्रोजेक्ट मैनेजर जगदीश आफले का कहना है कि सब श्रीराम की कृपा है।

भगवान विष्णु के अवतारी प्रभु श्रीराम के मंदिर में भक्तों और श्रद्धालुओं को त्रिदेवों में शामिल ब्रह्मा और शिव की भी दिव्यानुभूति होगी। यह मंदिर प्राचीन नागर शैली में होने के साथ ही अष्टकोणीय है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: राममंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत बलवंतराय सोमपुरा बताते हैं कि 32 वर्ष पहले श्रीराम मंदिर का तीन डिजाइन-प्लान तैयार किया था। इसमें एक विष्णु अवतारी प्रभु राम का मंदिर विष्णु स्वरूप में तैयार करने का प्रयास किया था। संत समाज ने इसे स्वीकार किया और आज यह आकार ले रहा है। यह त्रिपुरुष प्रासाद है। इसमें विष्णु-ब्रह्मा और महेश तीनों ही अपने-अपने स्थान पर मौजूद हैं। जमीन के नीचे ब्रह्मा हैं। फांउडेशन में 50 फुट नीचे कॉपर (तांबे) का एक पाइप है। यह विष्णु स्वरूप रामलला के नीचे सीधे जुड़ते हैं। यह ब्रह्मनाल की तरह है।

इसी तरह परिक्रमा पथ गोलाई में शिवलिंग की तरह है। रामलला की मूर्ति, तांबे के पाइप व विशिष्ट परिक्रमा पथ भक्तों को दिव्यानुभूति कराएगा। भक्त मूर्ति से अपने में आकर्षण (वाइब्रेशन) महसूस करेंगे।

अष्टकोणीय है राममंदिर : राममंदिर कई मायने में विशिष्ट है। यह अष्टकोणीय है, यानी भगवान विष्णु के आठ स्वरूप। दूसरा, इसमें पांच मंडप हैं। ज्यादातर मंदिरों में एक या दो मंडप ही होते हैं। तीसरा, संभवत: हिंदुस्तान का सबसे बड़ा मंदिर है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: इसके कॉरिडोर में पांच देवों के पंचायत मंदिर हैं। सीता रसोई के स्थान पर मां अन्नपूर्णा मंदिर है। मुख्य मंदिर के बाहर पांच मंदिर और बनेंगे, जो रामजी के जीवन से जुड़े उनके प्रिय मित्रों व भक्तों के होंगे। खंभों में विष्णु के दशावतार के अलावा 64 योगिनी, 51 शक्तिपीठ के अलावा देव-देवांगनाओं के चित्र होंगे। इस मंदिर को 2500 वर्ष तक किसी तरह की आपदा से क्षति नहीं पहुंच सकती है।

81 वर्षीय सोमपुरा बताते हैं कि राम मंदिर का डिजाइन बनाने का मौका भगवान की कृपा से मिला। तमाम बड़े-बड़े मंदिरों के प्लान बनाए, लेकिन यह बिल्कुल अलग है। इसकी कल्पना और इसके साकार होने पर संतुष्टि का भाव बहुत खास है। अब वह मुंबई में बनने वाले रिलायंस के राधा-कृष्ण मंदिर का डिजाइन तैयार कर रहे हैं।

रामजन्मभूमि की मिट्टी नरम व कमजोर है, इसलिए इसे 9 एकड़ क्षेत्रफल में 12 मीटर गहराई तक खोदा गया। राममंदिर के पास गहरे हुए स्थान पर मिर्जापुर से लाई गई मिट्टी व रेत में फ्लाईएश व सीमेंट मिलाकर लो स्ट्रेंथ का कंक्रीट बनाया गया। इससे पूरा गड्ढा भरा गया। यह कहना है गिरीश सहस्त्रभोजनी का।

उन्होंने बताया, जमीन के लेवल पर आने के बाद डेढ़ मीटर बेहद मजबूत कंक्रीट का राफ्ट डाला गया। इसके ऊपर 6 मीटर ऊंचाई की ग्रेनाइट पत्थरों की बिल्डिंग की फ्लिंथ बनाई गई। इसके ऊपर डेढ़ मीटर की अपर फ्लिंथ ग्रेनाइट से ही बनाई गई। इसी के बीच से भरतपुर के सैंड स्टोन के खंभे व दीवारों का काम शुरू हुआ। फिर मंदिर की मिट्टी का लेवल और उसका स्लोप सुधारा गया।

मिट्टी का लेवल ठीक करने के लिए पूरे मंदिर के परकोटे में ढाई मीटर मिट्टी की भराई हुई। परकोटे के बाहर पश्चिम दिशा में बेहद मजबूत रिटेनिंग वाल बनाई गई, जिसका तल सरयू नदी के पानी के लेवल पर ले जाया गया। इससे भारी से भारी बारिश के बाद भी नूतन मंदिर में फाउंडेशन की मिट्टी खिसक कर बह नहीं सकेगी।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: यह मंदिर भूकंप प्रभावित क्षेत्र में आता है। स्ट्रक्चरल डिजाइन में ऐसे प्रावधान किए गए, जिससे रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाले भूकंप से भी इस मंदिर को ढाई हजार वर्ष तक कोई क्षति न पहुंच सके। भूकंप, मिट्टी के कटाव, बहाव व अन्य प्राकृतिक आपदा से मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित है। मंदिर को तेज आकाशीय बिजली के प्रभाव से सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार के लाइटनिंग कंडक्टर की व्यवस्था की गई है। देश में इस प्रकार की सुरक्षा कवच से रक्षित यह पहला मंदिर है।

अब तक की योजना के अनुसार रामलला की नई मूर्ति के साथ मौजूदा मूर्ति भी विराजेगी। रामलला का संपूर्ण आसन तीन स्तर पर होगा। सबसे नीचे पूजा सामग्री होगी। दूसरे स्तर पर तीनों भाइयों के साथ मौजूदा उत्सव मूर्ति, जिसे चल मूर्ति भी कहा जाता है, विराजेगी। सबसे ऊपर नई अचल मूर्ति होगी। रामलला कमल पर विराजमान होंगे।

प्रथम तल पर राम का भव्य दरबार होगा। राम राजा व सीता रानी के रूप में विराजमान होंगी। एक ओर अनुज लक्ष्मण तो दूसरी ओर भरत होंगे। सामने शत्रुघ्न व हनुमान जी विराजेंगे। द्वितीय तल मंदिर की स्थिरता के लिहाज से तैयार होगा। फिलहाल उस पर कुछ नहीं होगा।

राममंदिर के लिए जमीन का मास्टर प्लान 70 एकड़ का है। मंदिर 300 फुट लंबा, 268 फुट चौड़ा और 161 फुट ऊंचा है। चारों ओर परकोटे की लंबाई 178 मीटर और चौड़ाई 146 मीटर है। यह परिक्रमा मार्ग है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: परकोटे के चारों कोनों पर चार मंदिर भगवान सूर्य, मां भगवती, भगवान गणेश व शिव के होंगे। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा व दक्षिणी भुजा में महावीर हनुमान विराजमान होंगे। मंदिर के पास पौराणिक सीताकूप होगा। परिसर में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व देवी अहिल्या के मंदिर होंगे। दक्षिण पश्चिम भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है और जटायु की स्थापना की गई है।

RAM MANDIR GOLDEN DOOR: मंदिर फाउंडेशन के बाद बंसी पहाड़पुर के गुलाबी स्टोन के खंभे तैयार किए गए हैं। इन खंभों में 392 मूर्तियां उकेरी गई हैं। ये खंभे भूतल व प्रथम तल पर होंगे। इन पर रामकथा अध्याय के अनुसार मूर्तियां होंगी। परकोटा के परिक्रमा मार्ग पर ब्रांज के म्यूरल (दीवारों पर उकेरे गए चित्र) बनाए जाएंगे। म्यूरल बनाने में में 2 से 3 साल लगेंगे। 22 जनवरी को भूतल का काम पूरा हो जाएगा। प्रथम तल का काम जारी है। द्वितीय तल से शिखर तक का काम दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।

मास्टर प्लान में शामिल दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, सामान जांच केंद्र, लॉकर, शौचालय, पानी, संग्रहालय से जुड़े कार्य हो रहे हैं। ये भवन मई तक पूरे हो जाएंगे। मंदिर का विकास 70 एकड़ क्षेत्रफल में हो रहा है। इसका 70 फीसदी हिस्सा पूरी तरह हरित क्षेत्र के रूप में विकसित होगा। मंदिर परिसर लोगों के चित्त को लुभाने वाला, शांति और आनंद का अनुभव कराने वाला होगा। वृद्धों और दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर व लिफ्ट की सुविधा होगी।

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