Insurance Claim Court: छत्तीसगढ़ में बीते दिनों कुएं में गिरने से मौत को आत्महत्या बताकर डाक जीवन बीमा निगम ने इंश्योरेंस की राशि देने से मना कर दिया था। इसके बाद यह मामला उपभोक्ता फोरम पहुंचा जहां पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाया।
Insurance Claim Court: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में जिला उपभोक्ता फोरम में एक परिवाद लाया गया था। जिसमें युवक की मौत कुएं में हुई या फिर वह आत्महत्या थी।
इस घटना पर डाक विभाग जीवन बीमा राशि के क्लेम को नामंजूर कर रहा था। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा ने इस पूरे प्रकरण की सुनवाई की है।
इस सुनवाई में कुएं में गिरकर मौत की घटना को हादसा बताया गया और बीमा क्लेम की राशि 7 लाख 90 हजार रुपए के साथ 5000 रुपए वाद व्यय देने का आदेश दिया गया है।
Insurance Claim Court: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कुएं में गिरकर युवक केशव राम यादव की मौत हो गई थी। इस मौत के बाद डाक जीवन बीमा निगम के क्लेम को आत्महत्या बताकर खारिज कर दिया गया था। इसके बाद यह मामला जिला उपभोक्ता फोरम पहुंचा जहां युवक के पिता को पूनोराम यादव को 6 फ़ीसदी ब्याज कि दर से बीमा की राशि मिलने का आदेश दिया गया है।
साथ ही अपने फैसले में यह कहा गया है कि पीएम रिपोर्ट एवं पुलिस अंतिम जांच प्रतिवेदन में कुएं में डूबने के मौत का उल्लेख किया गया है। लेकिन किसी प्रकार से आत्महत्या का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और दस्तावेज साक्ष्य की दृष्टि में भी नहीं आते हैं।
Insurance Claim Court: सुनवाई के दौरान डाक विभाग में आयोग अध्यक्ष को इस पूरे मामले में बताया कि यह पूरा मामला प्रेम प्रसंग का है। उन्होंने कहा कि मृतक अपनी प्रेमिका से विवाह करना चाहता था। लेकिन उसके परिजन इस बात का विरोध कर रहे थे। जिस बात से वह दुखी होकर आत्महत्या कर लिया है। इसीलिए इस तरह के मामलों में जीवन बीमा का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ पीड़ित पक्ष की ओर से पुलिस केस डायरी पीएम रिपोर्ट और शपथ पत्र के साथ गवाह पेश किए गए। सुनवाई के दौरान उसने बताया कि वह केशव को अच्छे से जानता था। उसका कोई प्रेम प्रसंग नहीं था।
Insurance Claim Court: पीड़ित पक्ष की ओर से बताया गया कि सड़क किनारे बिना बाउंड्री वॉल वाला कुआं था अंधेरा होने के कारण वह कुआं दिखाई नहीं दिया और वह गलती से कुएं में गिरा है।
जब बचाव पक्ष की तरफ से दलील पेश की गई तब डाक विभाग का कोई जवाब नहीं आया। वहीं दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद डाक विभाग की अपील को खारिज करते हुए पीड़ित पक्ष को क्लेम की राशि देने का आदेश दिया गया है।