Bajrang Punia Padmashri: पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि मैं अपना पुरस्कार लौटाने के लिए यहां आया था। प्रधानमंत्री का व्यस्त कार्यक्रम है। इसलिए मैं पीएम को लिखे पत्र पर अपना पुरस्कार रख रहा हूं।
Bajrang Punia Padmashri: बृज भूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह की डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में नियुक्ति के बाद बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार वापस कर दिया है। पुरस्कार लौटाने के लिए वह पीएम नरेंद्र मोदी के आवास की ओर बढ़े। हालांकि, शुक्रवार शाम पीएम आवास के पास कर्तव्य पथ पर पहुंचने पर उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक लिया। विरोध के तौर पर उन्होंने अपने पद्मश्री पुरस्कार को फुटपाथ पर रख दिया।
Bajrang Punia Padmashri: दिल्ली पुलिस से उन्होंने कहा, ”मैं उस व्यक्ति को पद्मश्री पुरस्कार दूंगा जो इसे पीएम मोदी तक लेकर जाएगा।
पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि मैं अपना पुरस्कार लौटाने के लिए यहां आया था। प्रधानमंत्री का व्यस्त कार्यक्रम है। इसलिए मैं पीएम को लिखे पत्र पर अपना पुरस्कार रख रहा हूं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैं यह पदक अपने घर नहीं ले जाऊंगा। वहां मौजूद पुलिस अधिकारी उनसे ऐसा न करने की अपील करते हैं, लेकिन बजरंग पद्मश्री रखकर चले जाते हैं। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने पत्र और पद्मश्री को उठाकर रख लिया।
Bajrang Punia Padmashri: टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया। पूनिया ने एक्स पर पोस्ट में कहा, मैं अपना पद्श्री सम्मान प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा बयान है। इस पत्र में उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से लेकर उनके करीबी के चुनाव जीतने तक तथा सरकार के एक मंत्री से हुई बातचीत और उनके आश्वासन के बारे में बताया। और अंत में पद्श्री लौटाने की बात कही।
Bajrang Punia Padmashri: पूनिया ने लिखा, प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस व्यस्तता के बीच आपका ध्यान देश की कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इस साल जनवरी में महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। मैं भी उनके आंदोलन में शामिल हो गया था। सरकार ने जब ठोस कार्रवाई की बात की तो आंदोलन रुक गया था। लेकिन तीन महीने तक बृजभूषण के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल आते आते सात रह गयी। यानी इन तीन महीानों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया।
पहलवान ने पत्र में कहा, 21 दिसंबर को हुए कुश्ती महासंघ के चुनाव में एक बार फिर बृजभूषण सिंह का कब्जा हो गया है। चुनाव के नतीजों के बाद बृज भूषण सिंह ने बयान दिया कि दबदबा है और दबदबा रहेगा। इससे दबाव में आकर एकमात्र ओलंपिक विजेता महिला पहलवान साक्षी ने संन्यास ले लिया।
साल 2019 में मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ था। लगा कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं अधिक दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं।
Bajrang Punia Padmashri: पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और संजय सिंह के चुनाव के विरोध में अपना पत्र सौंपने के लिए संसद या प्रधानमंत्री आवास पहुंचने की कोशिश की तो दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने उन्हें कर्तव्य पथ पर रोक दिया। उन्होंने कहा, नहीं, मेरे पास कोई अनुमति नहीं है। अगर आप इस पत्र को प्रधानमंत्री को सौंप सकते हैं तो ऐसा कर दीजिये क्योंकि मैं अंदर नहीं जा सकता। मैं न तो विरोध कर रहा हूं और न ही आक्रामक हूं।
खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद के लिए संजय सिंह के चुनाव के विरोध में बजरंग पूनिया का पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का फैसला व्यक्तिगत है। लेकिन फिर भी उन्हें इस कदम पर दोबारा विचार करने के लिए समझाने का प्रयास किया जाएगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, डब्ल्यूएफआई के चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए थे।