Maharashtra Suicide: महाराष्ट्र में बेरोजगारी और मौत के आंकड़े चिंता का सबब बन रहे हैं। रोजाना 2 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। एनसीआरबी के 2022 के आंकड़े डराने वाले हैं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में बेरोजगारी के चलते देश में 3541 लोगों ने सुइसाइड किया। इसमें 796 लोग महाराष्ट्र से थे। वहीं, 2022 में देश में कुल 3170 लोगों ने सुइसाइड किया है। इस बार भी सबसे अधिक 642 लोग महाराष्ट्र से थे।
देश के विकास में हमेशा आगे रहनेवाले महाराष्ट्र में बेरोजगारी और उससे होनेवाली मौत के आंकड़े चिंता का सबब बन रहे हैं। पिछले दो वर्षों में औसतन रोजाना 2 लोगों ने बेरोजगारी के चलते सूइसाइड किया है। अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में सूइसाइड की दर सबसे ज्यादा है, जो एक विकसित राज्य के लिए चिंताजनक है।
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। एक नौकरीपेशा व्यक्ति पर कई लोग आश्रित होते हैं। उसकी पगार पर ही पूरे परिवार का भरण-पोषण निर्भर होता है। ऐसे में यदि उस व्यक्ति की अचानक नौकरी चली जाए और वह बेरोजगार हो जाए, तो उसकी जिंदगी बेपटरी हो जाती है।
नौकरी मिली तो ठीक, अन्यथा जब तक नहीं मिलती, तब तक तनाव बना रहता है। यह तनाव कुछ लोगों में अवसाद का रूप ले लेता है। ऐसे में हताश होकर कुछ लोग अपनी जिंदगी समाप्त करने का फैसला तक ले लेते हैं। बेरोजगारी से देश में कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई है, इसको लेकर सदन में प्रश्न किया गया। जवाब में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने एनसीआरबी का डाटा सदन के समक्ष रखा।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में बेरोजगारी के चलते देश में 3541 लोगों ने सुइसाइड किया। इसमें 796 लोग महाराष्ट्र से थे। वहीं, 2022 में देश में कुल 3170 लोगों ने सुइसाइड किया है। इस बार भी सबसे अधिक 642 लोग महाराष्ट्र से थे।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने बताया कि जब आदमी बेरोजगार होता है तो उसका आत्मविश्वास टूटने लगता है। जिंदगी से विश्वास उठ जाता है। शर्म और अकेलापन उसे सूइसाइड के लिए प्रेरित करता है। कोविड के दौरान इसका अनुभव काफी लोगों को हुआ है। कई लोग अंदर ही अंदर घुटते गए और अवसाद का शिकार हो गए। आखिर में कुछ लोगों ने अपनी जिंदगी समाप्त कर ली।
महाराष्ट्र में खुदकुशी के आंकड़े
साल आत्महत्या
2020- 625
2021- 796
2022- 642