एक शादीशुदा व्यक्ति, जिसने अपनी पत्नी और तीन बेटियों की जानकारी छिपाकर एक महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहा, को अदालत ने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। इस रिश्ते के दौरान एक बेटी का जन्म हुआ, लेकिन बेटी के जन्म के बाद रिश्ते बिगड़ने लगे। महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति शराब के नशे में उसके साथ मारपीट करता था और कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए मामला दायर किया।
मामला और कोर्ट का फैसला
महिला, जो मनेंद्रगढ़ की रहने वाली एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है, ने बताया कि 2015 में वन विभाग में कार्यरत राजेंद्र नामक व्यक्ति से उसकी शादी हुई थी, जिससे उनकी एक बेटी का जन्म हुआ। हालांकि, महिला का कहना है कि राजेंद्र शादी के बाद से ही शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता था। परेशान होकर उसने घरेलू हिंसा और भरण पोषण के लिए कोर्ट में आवेदन किया। अगस्त 2024 में सेशन कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राजेंद्र को हर महीने 6 हजार रुपये गुजारा भत्ता और 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
अपील खारिज, कोर्ट का आदेश बरकरार
राजेंद्र ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की, जिसमें उसने दावा किया कि वह पहले से ही शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। उसने महिला से शादी नहीं की, इसलिए बच्ची के भरण पोषण की जिम्मेदारी उसकी नहीं बनती। महिला ने जवाब में कहा कि राजेंद्र ने अपनी शादी और बच्चों की जानकारी छिपाई और उसका आंगनबाड़ी का वेतन इतना कम है कि वह अपने और बच्ची का भरण पोषण नहीं कर सकती।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद राजेंद्र की अपील को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और उसे महिला और बच्ची को गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी रखा।
कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि दोनों व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे थे, जिससे बच्ची का जन्म हुआ। बच्ची के पिता के तौर पर राजेंद्र का नाम दर्ज है, और इसलिए भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उसी की बनती है।