Air Pollution UP: उत्तर प्रदेश में वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। पश्चिमी यूपी की हवा ज्यादा प्रदूषित हो गई है। झांसी-बरेली में स्थिति बेहतर है।
उत्तर प्रदेश की हवा प्रदूषण के कारण बदतर स्थिति में है, खासकर पश्चिमी हिस्से में हालात चिंताजनक हैं। वहीं, झांसी और बरेली जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता अपेक्षाकृत साफ है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और गोरखपुर एम्स के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, गोरखपुर में वायु प्रदूषण का स्तर 200 के पार है, जो इसे सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल करता है।
वहीं, गाजियाबाद, नोएडा, गजरौला, खुर्जा और मुरादाबाद जैसे पश्चिमी यूपी के शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति खराब पाई गई है।
उत्तर प्रदेश, जो जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है, अपने अधिकांश शहरों में वायु प्रदूषण की चपेट में है। हालांकि, पिछले पांच वर्षों में कुछ शहरों ने बेहतर प्रयासों के चलते प्रदूषण को नियंत्रित करने में सफलता पाई है।
वर्ष 2023 में झांसी का सबसे कम एक्यूआई
अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2023 में झांसी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 72.73 रहा, जो मध्यम श्रेणी में आता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप है। वहीं, गोरखपुर में 2019 में AQI 249.31 तक पहुंच गया था, जो गंभीर श्रेणी में आता है।
पश्चिमी यूपी के गाजियाबाद, नोएडा और मुरादाबाद जैसे शहरों में भी प्रदूषण का बोझ अधिक पाया गया है।
PM 10 के स्तर में सुधार
पिछले पांच वर्षों में बरेली की हवा में प्रदूषणकारी तत्व PM 10 के स्तर में 70% से अधिक की कमी आई है, जबकि रायबरेली में 58%, मुरादाबाद में 55%, गाजियाबाद में 48%, आगरा में 41% और वाराणसी में 40% की कमी दर्ज की गई है।
इसके विपरीत, गोरखपुर और प्रयागराज में PM 10 के स्तर में क्रमशः 50% और 32% की वृद्धि पाई गई है।
प्रदूषण से प्रभावित शहरों की सूची
अध्ययन में जिन 15 शहरों को शामिल किया गया है, उनमें आगरा, प्रयागराज, बरेली, फिरोजाबाद, गजरौला, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, खुर्जा, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, रायबरेली और वाराणसी शामिल हैं।
बरेली और रायबरेली में कैसे हुआ सुधार
जिन शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, वहां क्षमता निर्माण और सतत वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (CAAQMS) की स्थापना की गई है। इन शहरों ने सड़क धूल प्रबंधन, वाहन उत्सर्जन जांच और औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
गोरखपुर और प्रयागराज की चुनौती
गोरखपुर और प्रयागराज में बुनियादी ढांचे के अधूरे उन्नयन और प्रदूषण नियंत्रण नियमों का कड़ा पालन न करने के कारण हवा की गुणवत्ता में सुधार की गति धीमी रही है।
गोरखपुर में तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण, बढ़ते वाहन और अनुचित कचरा प्रबंधन के कारण प्रदूषण में वृद्धि हुई है। वहीं, प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान निर्माण गतिविधियों और यातायात में वृद्धि ने प्रदूषण स्तर को और बढ़ा दिया।
यह अध्ययन *द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया* मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि यूपी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।