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Turmeric Glass Powder: साबुत हल्दी निकली पाउडर से ज्यादा घातक, शीशे का लेप मिला, 20% नमूने फेल

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Turmeric Glass Powder: जाँच में साबुत हल्दी पाउडर से ज्यादा घातक निकली है। इसमें शीशे का लेप मिला है। इसके 20% नमूने फेल हुए हैं।

उत्‍तर प्रदेश में हल्दी के कुल 3028 नमूने लिए गए थे। इनमें से 926 की जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें 20 फीसदी नमूने फेल मिले हैं। 132 सेंपल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और 56 अधोमानक हैं। हानिकारक नमूनों में से 28 फीसदी में लेड यानि सीसा और 6 फीसदी में लेड क्रोमेट मिला है।

अगर आप शुद्धता की चाह में साबुत हल्दी का प्रयोग कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। यूपी में हल्दी के नमूनों की जांच में चौंकाने वाली चीजें सामने आई हैं। जांच में साबुत हल्दी में हल्दी पाउडर के मुकाबले ज्यादा मिलावट मिली है, वो भी स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक।

प्रदेश में हल्दी के कुल 3028 नमूने लिए गए थे। इनमें से 926 की जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें 20 फीसदी नमूने फेल मिले हैं। 132 सेंपल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और 56 अधोमानक हैं। हानिकारक नमूनों में से 28 फीसदी में लेड यानि सीसा और छह फीसदी में लेड क्रोमेट मिला है।

बांग्लादेश में हल्दी में घातक लेड की विषाक्तता से वहां के बच्चों का बौद्धिक स्तर प्रभावित हो रहा था। गर्भवती महिलाओं पर भी इसका बुरा प्रभाव सामने आया।

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि भारत के जिन राज्यों में खाद्य पदार्थों में लेड की मिलावट है, उनमें यूपी भी प्रमुख है।

मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रदेश भर में 22 अगस्त से छह सितंबर के बीच हल्दी की जांच का वृहद अभियान चलाया गया था। हल्दी निर्माता, वितरक, थोक विक्रेता और रिटेलरों के यहां से कुल 3028 सेंपल लिए गए थे। नमूनों में 30 फीसदी साबुत हल्दी और बाकी 70 प्रतिशत हल्दी पाउडर के थे।

जांच में सामने आया है कि साबुत हल्दी की लाइफ बढ़ाने और उसे फफूंदी से बचाने के नाम पर उस पर लेड मिश्रित लेप किया जाता है।

बता दें कि प्रदेश में खाद्य पदार्थों में लेड की मिलावट के खिलाफ विश्व बैंक की मदद से बड़ी मुहिम चलाने का फैसला लिया गया था। सीसा यानि लेड मिश्रित खाद्य पदार्थों का सेवन या उपयोग जानलेवा भी है। इसका सर्वाधिक बुरा प्रभाव बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर देखा गया है। बच्चों का आईक्यू लेवल यानि बौद्धिक क्षमता को घटा देता है। यहां तक कि उनके मस्तिष्क में धीमी गति से अपरिवर्तनीय क्षति भी हो जाती है।

लिवर और तंत्रिका तंत्र पर भी यह बुरा प्रभाव डालता है। गर्भस्थ शिशु पर भी इसके दुष्प्रभाव सामने आए हैं।आर्सेनिक, कॉपर, टिन सिंथेटिक कलर भी मिलेइन नमूनों को पांच निजी लैब में जांच के लिए भेजा गया था। इनमें से 926 की जांच रिपोर्ट अब तक आई है।

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के यहां विश्व बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में हुई हालिया बैठक में इस रिपोर्ट को रखा गया था। इसमें 20 फीसदी नमूने फेल मिले हैं, जिसमें 14 फीसदी स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित और छह फीसदी अधोमानक हैं।

खास बात यह है कि असुरक्षित पाए गए नमूनों में से 28 फीसदी में लेड, 61 फीसदी में कॉपर और टिन, छह फीसदी में लेड क्रोमियम, दो फीसदी में आर्सेनिक और तीन फीसदी में सिंथेटिक कलर मिले हैं।

महत्वपूर्ण यह भी है कि खतरनाक श्रेणी के 37 नमूनों में से 33 साबुत हल्दी और चार हल्दी पाउडर के हैं। अभी बाकी नमूनों की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है।”

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