Ratan Tata Mantra: टाटा समूह के रतन टाटा को लेकर पूर्व सहयोगी आर एन शर्मा का कहना है कि रतन टाटा का एक ही मंत्र था- शिखर पर रहो या खत्म हो जाओ।
कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन आर एन शर्मा ने रतन टाटा के साथ अपने अनुभवों को विनम्रता और दोस्ती की कहानी बताया। शर्मा ने उनसे 1960 के दशक में पहली बार उनसे मुलाकात की थी।
शर्मा ने कहा कि टाटा का जीवन सरल और ईमानदारी से भरा था, और उनका मंत्र हमेशा ऊंचे लक्ष्य रखने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
‘टाटा समूह’ की प्रमुख कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों पर काम चुके कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन आर एन शर्मा ने कहा कि रतन टाटा के साथ उनका सफर विनम्रता और दोस्ती की कहानी है। शर्मा 12 अप्रैल को 100 वर्ष के हो गए।
उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने अपने हर प्रयास में गुणवत्ता और ईमानदारी के प्रति अटूट समर्पण का प्रदर्शन किया।
शर्मा ने कहा, ‘1960 के दशक का अंतिम समय था। यह मेरे करियर का महत्वपूर्ण समय था, क्योंकि मैं जामाडोबा में मुख्य खनन अभियंता के रूप में कार्यरत था। यही वह समय था जब 1967-68 में रतन टाटा से पहली बार मेरी मुलाकात हुई। वह जिज्ञासा और दृढ़ संकल्प से भरपूर युवा थे।
उन्होंने कहा, ‘उनका (टाटा का) मंत्र सरल किन्तु गहरा था: ‘शीर्ष पर पहुंचो या मिट जाने के लिए तैयार रहो। इन दोनों स्थितियों के बीच कुछ नहीं है।’ वह यही कहा करते थे। उनका यह मंत्र सभी को प्रेरणा देता है कि हमेशा ऊंचा लक्ष्य रखें, सीमाओं से आगे बढ़ें और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें।’ शर्मा ने कहा कि टाटा के सादे जीवन में दिखावे के लिए कोई जगह नहीं थी।
शर्मा ने रुंधे हुए स्वर में कहा, ‘जब मैं बीते समय के बारे में सोचता हूं तो मुझे रतन टाटा के उस प्रभाव की याद आती है जो उन्होंने न केवल टाटा समूह पर छोड़ा, बल्कि उन सभी पर भी डाला जिन्हें उन्हें जानने का सौभाग्य मिला। उनकी विरासत हमें बेहतर बनने, उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और विनम्रता के साथ नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।’