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Jammu Kashmir Politics: उपराज्यपाल किन पांच सदस्यों को करेंगे मनोनीत? जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताए नाम, कहा- केंद्र के पास पूरा अधिकार

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Jammu Kashmir Politics: जम्मू-कश्मीर के नतीजे आज आ रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक सोफी यूसुफ ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मनोनीत सदस्यों पर फैसला करेंगे। इन नामों में अशोक कौल, रजनी सेठी, सुनील सेठी, डॉ. फरीदा खान और पाँचवाँ एक शरणार्थी शामिल है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मनोनीत किए जाने वाले पांच सदस्यों को लेकर विपक्षी दलों बेचैनी है। हालांकि, इसी बीच भाजपा उपाध्यक्ष सोफी यूसुफ उन सभी पांचों नामों का खुलासा कर दिया है जिनको उपराज्यपाल विधायक रूप में मनोनीत करेंगे।

यूसुफ ने कहा कि पांच में से चार नाम जम्मू प्रांत से हैं, जबकि एक कश्मीर से है। भाजपा नेता डॉ. फरीदा खान ने इस बात की पुष्टि भी की। उन्होंने बताया कि नामांकन के संबंध में भाजपा ने उनसे संपर्क किया था। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 और 2023 में इसके संशोधन के अनुसार, 5 मनोनीत सदस्यों में से तीन महिलाएं होनी चाहिए।

एक वीडियो इंटरव्यू में यूसुफ़ ने कहा, देखिए, उनमें अशोक कौल जी हैं, जो बीजेपी के राज्य सचिव हैं; रजनी सेठी, जो पहले बीजेपी महिला मोर्चा की राज्य अध्यक्ष हुआ करती थीं; डॉ फ़रीदा ख़ान हैं, जो राज्य सचिव हैं; और सुनील सेठी, जो हमारी अनुशासन समिति के अध्यक्ष और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं। पांचवां व्यक्ति शरणार्थी है, जो हमारी महिला मोर्चा की अध्यक्ष है। ये सभी हमारे हैं।

भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक यूसुफ ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की सलाह पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मनोनीत सदस्यों पर फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भाजपा नेताओं को मनोनीत करने में कुछ भी गलत नहीं है।

यूसुफ ने कहा कि केंद्र सरकार हमारी है। जिसकी सरकार, उसी के नाम जाएंगे। मैं इस पर अपनी मुहर लगा रहा हूं। ये पांच विधायक हमारे हैं। किसी का नाम लिए बिना यूसुफ ने यह भी दावा किया कि अधिकतर निर्दलीय उम्मीदवार और साथ ही चुनाव में शामिल छोटी पार्टियां बीजेपी के साथ हैं। पार्टी की ओर से यह पहला ऐसा सार्वजनिक बयान है, हालांकि विपक्षी दल भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं कि वह भाजपा विरोधी वोटों को बांटने के लिए इन उम्मीदवारों को आगे कर रही है।

डॉ. फरीदा खान ने कहा कि उपराज्यपाल सिन्हा की पुष्टि के बिना विधायक के रूप में उनके नामांकन के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं था, लेकिन मुझे इसके बारे में बताया गया है। उन्होंने कहा कि लोग मुझे फोन भी कर रहे हैं, लेकिन जब तक एलजी साहब इसकी पुष्टि नहीं करते, तब तक इसका कोई मतलब नहीं है… यहां (पार्टी) से इसकी पुष्टि हो चुकी है, लेकिन जब वहां (एलजी कार्यालय) से इसकी पुष्टि हो जाएगी, तभी इसका कोई मतलब होगा।

यूसुफ ने कहा कि जम्मू में भाजपा के नेता भी मनोनीत विधायकों में शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया।

सुनील सेठी, जिनका नाम इन चारों में शामिल है। उन्होंने इसे मीडिया की अटकलें बताया और कहा कि इसमें कुछ भी आधिकारिक और प्रामाणिक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह खबर कहां से आई है।

रजनी सेठी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है कि उनका नाम विधायक के रूप में नामांकन के लिए एलजी को भेजी गई सूची में है।

उन्होंने कहा कि मैंने इसके बारे में टीवी पर सुना है और पार्टी कार्यकर्ता भी मुझसे इस बारे में पूछने के लिए आ रहे हैं, लेकिन हममें से किसी को भी इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं और आरएसएस पदाधिकारियों ने सोमवार शाम को जम्मू में एक संयुक्त बैठक की, जिसमें विधायकों के नामांकन के लिए केंद्र को भेजे जाने वाले नामों के पैनल पर चर्चा की गई। उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में अंतिम निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है, जो एलजी को नामों की सिफारिश करेगा।

हालांकि, विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है, उनका तर्क है कि नामांकन केवल सरकार की सहायता और सलाह पर किया जाना चाहिए, न कि उससे पहले। पांच मनोनीत सदस्यों को जोड़ने से जम्मू-कश्मीर विधानसभा की संख्या 95 हो जाएगी, जिससे बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा। एग्जिट पोल के अनुसार, नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सहित कोई भी पार्टी इस संख्या के करीब नहीं आएगी।

यूसुफ ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि आपको पता होना चाहिए कि हमारे पास (घाटी में) भाजपा के टिकट पर 19 उम्मीदवार थे, उनमें से तीन-चार जीत रहे हैं। फिर कुछ निर्दलीय उम्मीदवार हैं जिनका हम समर्थन कर रहे हैं। वे शुरू से ही हमारे साथ हैं… छोटी पार्टियां भी हैं, दो-तीन पार्टियां, जिन्हें पांच-दस सीटें मिलेंगी। भाजपा अपने दम पर सरकार बनाएगी।

यूसुफ विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार हैं। वह दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा निर्वाचन क्षेत्र से पीडीपी की इल्तिजा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के डॉ. बशीर अहमद वीरी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर एलजी विधायकों के नामांकन के साथ आगे बढ़ते हैं तो वे सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल साहब को इससे दूर रहना चाहिए क्योंकि अब सरकार बन रही है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह किसे नामित करे और फिर उसे उपराज्यपाल साहब के पास भेजे। यह सामान्य प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा कि वे क्या करना चाहते हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन अगर वे ऐसा कोई कदम उठाते हैं, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अगर भगवान साहब यहीं रहेंगे तो सरकार बनाने का क्या फायदा? हमें उन सभी के खिलाफ लड़ना होगा।

इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि 1987 के चुनावों में कथित धांधली से कोई सबक नहीं लिया गया है, जिसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत के लिए तत्काल ट्रिगर के रूप में देखा जाता है। इल्तिजा ने एक्स पर पोस्ट किया़ कि इसके बजाय सभी 90 सदस्यों (विधानसभा के) को नामांकित किया जा सकता था। चुनाव क्यों करवाए गए? 1987 के चोरी हुए चुनाव ने जम्मू-कश्मीर को इस कगार पर पहुंचा दिया।

5 पांच क्यों मायने रखते?

पांच मनोनीत सदस्यों के जुड़ने से जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सदस्य संख्या 95 हो जाएगी, जिससे बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा। एग्जिट पोल के अनुसार, एनसी-कांग्रेस गठबंधन सहित कोई भी पार्टी इस संख्या के करीब नहीं पहुंच रही है।

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