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मानना पड़ता है कि गंदगी बड़ी समस्या है, पढ़िए पूरी आलेख…

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नर्मदा न्यूज़ डेस्क। जब हमें समस्या का पता चलता है तो हम उसके समाधान के लिए सोचते हैं, उसके समाधान के लिए प्रयास करते हैं। निरंतर प्रयास करते है, सब मिलकर प्रयास करते हैं, बरसो प्रयास करते हैं तो तब जाकर पता चलता है कि इस समस्या के कारण क्या नुकसान हो रहा था, इसका समाधान करने पर क्या फायदा होता है या हो सकता है।गंदगी समस्या नहीं है, गंदगी बड़ी समस्या है।जब मानते हैं तो तब हमें पता चलता है। यदि हम गंदगी का समस्या नहीं मानते हैं तो होता क्या है, हमें गंदगी का पता नहीं चलता है,हम खुद गंदगी करते रहते हैं तो हमको पता नही रहता है कि हम गदंगी कर रहे हैं।

जैसे पान व गुटखा खाने वालों को पता नहीं रहता है कि वह घर,दफ्तर,सड़क पर गुटखा खाकर उसका पाउच फेंक कर, गुटखा थूक कर गंदगी कर रहे हैं, वह घर को गंदा कर रहे हैं, वह दफ्तर को गंदा कर रहे हैं, वह अपने शहर की सड़क को गंदा कर रहे हैं। जिस दिन भी उनको कोई एहसास दिला दे, किसी कारण से उनको एहसास हो जाए कि गुटखा खाकर पाउच फेंकना गंदगी फैलाना है, गुटखा खाकर थूकना गंदगी करना है तो उसके लिए घर व बाहर गंदगी करना मुश्किल हो जाता है।

पीएम मोदी ने देश को लोगों को यह एहसास दिलाया है,गंदगी बड़ी समस्या है।इसके लिए हम लोग ही दोषी हैं। यह हमारी पैदा की हुई समस्या है। इसका समाधान भी हम ही कर सकते हैं। इसके लिए करना क्या है। खुद गंदगी नहीं करनी है,दूसरे लोगों को गंदगी नहीं करने के लिए जागरूक करना है।पीएम मोदी ने यही लोगों को बताया कि आप खुद गंदगी मत करो और दूसरों को भी जागरूक करो आज देश में स्वच्छता अभियान चलाया जाता है,इसमें इतने ज्यादा लोग शामिल होते हैं कि लगता है यह जनता का आंदोलन बनता जा रहा है,जनता जागरूक हो रही है और दूसरों को भी जागरूक कर रही है।

यह काम पहले भी नेता करते रहे हैं, महात्मा गांधी भी सफाई को महत्व देते थे, वह खुद अपने आसपास की सफाई करते थे और लोगों को भी प्रेरित करते थे। उनके बाद देश के लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने कोई ऐसा बड़ा नेता सामने नहीं आया। पीएम मोदी ने इस पर कहा है कि महात्मा गांधी के नाम पर वोट लेकर सरकार बनाने वालों ने कभी गंदगी को समस्या माना ही नहीं, इसलिए उनके लिए शौचालय कभी राष्ट्रीय मुद्दा नहीं रहा।मैंने दस साल पहले शौचालय व सैनेटरी पैड की बात की।आज हम नतीजे देख रहे हैं,आज हम बदलाव को महसूस कर रहे हैं।

देश की ६० प्रतिशत आबादी एक दशक पहले खुले में शौच करने जाती थी।दस साल में स्थिति बदली है तो इसलिए कि बदलने का प्रयास किया गया है,समस्या को गंभीर समस्या माना गया, समस्या को राष्ट्रीय समस्या माना गया, माना गया कि इस समस्या के कारण लोगों को कैसी कैसी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।मोदी ऐसे नेता हैं जो जनता की तकलीफ को जनता की तरह महसूस करते हैं, इसलिए वह ऐसा काम कर पाते हैं जिसे जनता भी मानती है कि यह काम मोदी ने अच्छा किया है। जब जनता मानती है कि मोदी का यह काम उसके लिए ही अच्छा है वह काम सब करते हैं और कोई भी अभियान इस तरह जनआंदोलन बनता है।

हर साल सितंबर से दो अक्टूबर देश के राज्यो में स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जाता है। इस दौरान पूरे देश में लोगों को सफाई का संस्कार देने का काम किया जाता है,सफाई का यह संस्कार सफाई करके,सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करके,सफाई की शपथ दिलाकर दिया जाता है। इससे लोगों में सफाई के प्रति एक चेतना पैदा होती है तथा आदमी सफाई के प्रति जागरूक होता है और खुद गंदगी नहीं करता है, वह कचरा वही फेंकता है जहां फेंका जाना चाहिए। वह घर हो बाहर सजग रहता है।

सोचें आज हर शहर में पहले से ज्यादा कचरा इकट्ठा हो रहा है तो इसका मतलब क्या है। एक आदमी एक दिन में एक बोतल पानी पीता है और बोतल को सड़क पर फेंक देता है तो शहर की आबादी दस लाख है तो एक लाख आदमी भी पानी पीकर बोतल फेंक देते हैं तो शहर में एक लाख पानी बोतल का कचरा को रोज होता है। इसी तरह बहुत सारी वस्तुएं जो लाखों लोग इस्तेमाल करते हैं और फेंक देते हैं, इससे शहर में हर दिन बहुत ज्यादा कचरा होता है। शहर गंदा होता है, जितना कचरा शहर में फेंका जाता है,उसकी सफाई उतनी तत्परता से की नहीं जाती है।

हर शहर में आदमी को कहीं कचरा दिखता है तो वह यह सोचता नही है कि यह उसकी जिम्मेदारी है कि सड़क से उठाकर आसपास के डस्टबिन में डाल दे। वह मानता है कि यह तो निगम का काम है,निगम के सफाई कर्मी का काम है। निगम का सफाईकर्मी तो दूसरे दिन सफाई करेगा.यानी हमारा शहर घंटो गंदा रहता है तो हमारे कारण रहता है। हम जिस कचरे की घंटो पहले सफाई कर सकते हैं, उसे हम नहीं करते हैं। हम उसे सफाई कर्मी के लिए छोड़ देते हैं।यही आदत हमारी घर में बनी रहती है। हम कचरा करते है और सोचते हैं कि घर की सफाई करना घर वालों या नौकरानी का काम है।

हम सफाई को जब तक दूसरे का काम मानते रहेंगे तब तक हमारे घर भी गंदे रहेंगे और शहर भी गंदे रहेंगे।हम सफाई को जब अपनी जिम्मेदारी मानेंगे तो हमारे घर जितने साफ रहेंगे,हमारे शहर भी साफ रहेंगे।कचरे की सफाई तो एक समस्या है ही इसी के साथ दूसरी समस्या है कि कचरे का प्रबंधन कैसे किया जाए। यानी उसे नष्ट या उसका उपयोग क्या किया जाए, कैसे किया जाए। हर शहर में कचरे का पहाड़ भी एक बड़ी समस्या है।यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस कचरे के पहाड़ का सफाया कैसे करती है।

कोई शहर साफ सुथरा तब माना जाता है जब कचरा न हो और कचरे के पहाड़ भी न हों। इस कसौटी पर इंदौर शहर खरा उतरता है तो सवाल उठता है कि बाकी शहर सफाई के मामले में इंदौर क्यों नहीं बन पा रहे हैं। इंदौर व दूसरे शहर के लोगों में फर्क है तो वह फर्क क्या है। क्या यह फर्क दूर नहीं किया जा सकता,क्यों दूर नहीं किया जा रहा है। हमारे देश में एक ही इंदाैर शहर है, ज्यादा क्यों नहीं है।

 

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