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देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र रायपुर के छात्रों को सिखा रहे जीने की कला…

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सीजी डेस्क। देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार (उत्तराखण्ड) में अध्ययनरत छात्र सामाजिक परिवीक्षा इंटर्नशिप के लिये 29 नवम्बर से एक माह के लिये रायपुर आये हुए हैं। इस वे रायपुर जिले के विभिन्न ब्लॉकों के स्कूलों में जाकर स्कूली छात्र-छात्राओं को भारतीय संस्कृति व सभ्यतता व सफल होने के लिये व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या कैसी होनी चाहीये जैसे विभिन्न विषयों के बारे में बता रहे हैं।

गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी प्रज्ञा प्रकाश निगम ने बताया कि दे.सं.वि.वि. हरिद्वार (उत्तराखण्ड) से राजधानी रायपुर आये तीन छात्र चंद्र प्रकाश, सौरभ प्रजापति एवं राहुल सिंह राठौर ने अब तक रायपुर के स्वामी आत्मानंद हायर सेकेंडरी स्कूल लालपुर, अशादीप विद्यालय, शांतिनिकेतन विद्यालय, शासकीय हाईस्कूल चंगोराभाठा, दक्षिणमूर्ति विद्यापीठ, निखिलेश्वर विद्यालय आदि विद्यालयों में स्कूली छात्रों के बीच जाकर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का ज्ञान, व्यक्तित्व विकास, तनाव प्रबंधन, नशा मुक्ति, आत्मबोध, तत्वबोध, यज्ञ का ज्ञान व विज्ञान, बुद्धि बढ़ाने की वैज्ञानिक विधि, पर्यावरण व वातावरण का शोधन आदि विषयों पर बताया है। उनके द्वारा छोटी-छोटी बिमारियों के उपचार हेतु वैकल्पिक चिकित्सा पद्धती – ध्यान, योग, प्राणायाम, एक्यूपंचर, आयुर्वेद के बारे में बताते हुए इसे अपनाने के लिये भी जागरुक किया जा रहा है।

इंटर्नशीप हेतु आए छात्रों ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य राष्ट्र के युवाओं को निखार-संवार कर श्रेष्ठतम नागरिक, समर्पित स्वयंसेवक, प्रखर राष्ट्रभक्त एवं विषय-विशेषज्ञ बनाने के साथ-साथ महामानव और देव मानव बनाना है, जिससे मनुष्य में देवत्व उतरे और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का स्वप्न साकार हो सके। उन्होने भारतीय संस्कृति के दिव्य सूत्रों को बताते हुए कहा कि केवल औपचारिक शिक्षा हासिल करना सच्चा ज्ञान नहीं है इससे अभिमान बढ़ता है, जो व्यक्तित्व विकास में बाधा है अतः शिक्षा के साथ-साथ विद्या को होना भी आवश्यक है। विद्या के बिना मनुष्य का सर्वांगिक विकास नहीं हो सकता है।

शिक्षा सिर्फ भौतिक सुख प्रदान कर हमें बड़ा आदमी व धनवान बनाता है लेकिन विद्या हमें एक अच्छा इंसान बनाती है। विद्या हमें धर्म एवं अधर्म में फर्क बतलाती है एवं व्यक्ति को जागरूक और संवेदनशील बनाकर धर्मपथ की ओर अग्रसर कर एक सच्चा मानव बनाती है। शिक्षा व्यक्ति को स्वार्थी बनती हैं, जबकि विद्या व्यक्ति को परमार्थी बनती है। विद्या ही व्यक्ति को पशु से अलग करती। दे.सं.वि.वि. के तीनो छात्र द्वारा सभी स्कूल के प्रबंधन समिति, प्राचार्य एवं शिक्षको द्वारा दिये जा रहे सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया गया।

 

 

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