Maharashtra Politics: महाराष्ट्र राजनीति के बीच दशहरा रैलियों से शिवसेना ने चुनावी बिगुल फूंका। शिवाजी और 2022 की बगावत पर जमकर एक-दूसरे पर हमले हुए।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के कुछ हफ्ते पहले, मुंबई में आयोजित दो प्रमुख दशहरा रैलियों ने यह साफ कर दिया कि आगामी चुनावों में कौन से मुद्दे अहम होंगे और किन पर ज्यादा चर्चा होगी। दोनों रैलियों में सत्ताधारी शिवसेना और विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) ने चुनावी बिगुल फूंक दिया।
मुंबई में दो दशहरा रैलियों पर सभी की नजरें
शनिवार को मुंबई में हुईं इन दो रैलियों में सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने-अपने समर्थकों को संबोधित किया। शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (यूबीटी) के बीच यह राजनीतिक रस्साकशी साफ दिखी।
उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट पर साधा निशाना
शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई पार्क में आयोजित रैली में एकनाथ शिंदे पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने शिंदे की शिवसेना को “नकली शिवसेना” कहकर उन पर विश्वासघात का आरोप लगाया। उद्धव ने अपने 2019 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के वीडियो को भी स्क्रीन पर दिखाया और अपने विरोधियों को चेतावनी दी कि वे सावधान रहें।
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में कहा, “स्वर्गीय रतन टाटा ने मुझसे कहा था कि जेआरडी टाटा ने उन पर विश्वास कर उन्हें टाटा ग्रुप की विरासत सौंपी थी। इसी तरह बालासाहेब ठाकरे ने आपको चुना, क्योंकि उन्होंने आपको विश्वासपात्र माना था।” इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर भी हमला बोला, उन्हें “कौरव” करार देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा अहंकार में डूबी हुई है और उन्हें खुद को भारतीय कहने में शर्म आनी चाहिए।
शिवाजी महाराज की प्रतिमा का मुद्दा
उद्धव ने अपने भाषण में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना का जिक्र करते हुए महायुति सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा, “महायुति सरकार ने केवल वोटों के लिए शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगवाई, लेकिन वह गिर गई। जब हम सत्ता में आएंगे तो हर जिले में शिवाजी महाराज के मंदिर बनाएंगे। शिवाजी महाराज हमारे लिए भगवान हैं, जबकि उनके लिए वह सिर्फ वोटबैंक हैं।”
एकनाथ शिंदे का जवाब
वहीं दूसरी ओर, आजाद मैदान में आयोजित शिवसेना की रैली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अगर मैंने बगावत न की होती, तो सच्चे शिवसैनिकों का अपमान होता और महाराष्ट्र कई साल पीछे चला जाता।” शिंदे ने उद्धव ठाकरे सरकार पर राज्य की विकास परियोजनाओं को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “उद्धव सरकार की वजह से महाराष्ट्र का कर्ज बढ़कर 17 हजार करोड़ रुपये हो गया था।”
इन दोनों रैलियों से यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में शिवसेना के दोनों धड़े अपनी-अपनी रणनीति के साथ मैदान में उतरेंगे, और चुनावी मुद्दों में शिवाजी महाराज, विकास परियोजनाएं और 2022 की बगावत प्रमुख रहेंगे।