JP Jaiprakash Narayan: लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 122वीं जयंती पर आज देश नमन कर रहा है। वो एक एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देश को नई दिशा दी।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 122वीं जयंती पर उन्हें पूरे देश में श्रद्धांजलि दी जा रही है। जयप्रकाश नारायण यानी जेपी भारतीय राजनीति के इतिहास में एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में उभरे, जिन्होंने बिना किसी शासकीय पद पर रहते हुए भी समाज में क्रांति की अलख जगाई। उनके नेतृत्व और विचारधारा ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी और उन्होंने लोकतंत्र को सशक्त करने में अहम भूमिका निभाई।
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताब दियारा गांव में हुआ था। उनका जीवन संघर्ष और समर्पण की बेहतरीन कहानी है। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका गए, जहां समाजवाद के सिद्धांतों से प्रभावित होकर वे भारत लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
आजादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया, लेकिन उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि 1970 के दशक में हुए ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन के रूप में देखी जाती है।
1970 के दशक के मध्य में जब देश में आपातकाल लागू हुआ, जेपी ने जनतंत्र की रक्षा के लिए ‘संपूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया। इस आंदोलन ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा दी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लाखों लोग उनके नेतृत्व में सड़कों पर उतरे।
जेपी का यह आंदोलन देश के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उनके द्वारा उठाई गई आवाज ने इंदिरा गांधी की सरकार को हिला दिया और 1977 में हुए चुनावों में पहली बार देश में गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ।
जेपी ने समाज के हर तबके, विशेष रूप से गरीबों और किसानों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया। समाजवाद और सर्वोदय के समर्थक जेपी ने महात्मा गांधी और विनोबा भावे के विचारों को आगे बढ़ाया। भूदान आंदोलन, सर्वोदय आंदोलन और किसानों के हित में चलाए गए आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उनका मानना था कि भारत की सच्ची प्रगति तभी संभव है, जब हर व्यक्ति को समान अवसर मिले और समाज में आर्थिक असमानता खत्म हो।
जयप्रकाश नारायण का जीवन एक ऐसा उदाहरण है, जिसमें राजनीति से ऊपर उठकर समाज की सेवा को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कभी किसी शासकीय पद को नहीं अपनाया, लेकिन उनके विचार और नेतृत्व का प्रभाव ऐसा था कि लोग उन्हें ‘लोकनायक’ के रूप में आदर से देखते थे। उनकी सादगी और ईमानदारी ने उन्हें देश की जनता के दिलों में बसा दिया।
जेपी ने 1974 में बिहार के छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया, जो आगे चलकर एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया। यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था और इसे जेपी के नेतृत्व में ‘संपूर्ण क्रांति’ का रूप दिया गया। छात्रों के साथ मिलकर उन्होंने सरकार की नीतियों का विरोध किया और उनके आंदोलन ने देश की राजनीति में गहरे बदलाव लाए। उनके द्वारा उठाए गए सवाल आज भी प्रासंगिक हैं और उनका संघर्ष लोगों को सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देता है।
आठ अक्तूबर 1979 को पटना में जयप्रकाश नारायण का निधन हो गया, लेकिन उनकी विचारधारा और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे आज भी जीवंत हैं। उनकी स्मृति में हर साल 11 अक्तूबर को उनकी जयंती मनाई जाती है। हालांकि, उनके नाम पर राजनीति करने वाले कई लोग आज उनके विचारों से भटक चुके हैं, लेकिन जनता के दिलों में जेपी की छवि एक जननायक और महान मानवतावादी के रूप में अमर है।
जेपी का पैतृक गांव सिताब दियारा, जो अब जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है, विकास की दौड़ में कुछ पीछे रह गया है। हालांकि केंद्र सरकार और बिहार की राज्य सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं वहां पहुंचाई जा रही हैं। यह भी देखा गया है कि उनके योगदान को याद करते हुए गांव के विकास के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं, ताकि जयप्रकाश नारायण के सपनों का समाज आकार ले सके।