सीजी डेस्क। कुछ दिन पहले की ही बात है, विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा वाले बसाहट में संचालित प्राथमिक शाला कदमझेरिया, कोरई में पढ़ाई करने वाले कई पहाड़ी कोरवा विद्यार्थियों का मन सुबह स्कूल आने में नहीं लगता था।
कक्षा पहली में पढ़ाई करने वाला सम्लेश्वर हो या फिर कक्षा तीसरी में पढ़ने वाला बम्लेश्वर, दोनों भाई स्कूल जाने से पहले घर में तरह-तरह के बहाने मारते थे और स्कूल जाने में भी रूचि नहीं दिखाते थे। कुछ इसी तरह की मिलती-जुलती कहानी पहाड़ी कोरवा छात्रा ज्योति, सुमित्रा की भी थी।
सुबह स्कूल जाने से पहले घर में खाना तो मिलता था, लेकिन अपनी थाली में दाल चावल मिलने और इसे खाने के बाद भी कई बार कुछ न कुछ बहाने कर स्कूल नहीं जाते थे। अब जबकि स्कूल खुलते ही विद्यार्थियों को गरम नाश्ते के रूप में उनके पसंद का स्थानीय नाश्ता, पोहा, उपमा, भजिया, पूड़ी, खीर आदि मिलने लगे हैं तो शहर के स्लम क्षेत्रों सहित दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में भी विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ने लगी है।
बच्चों को सुबह के गरम नाश्ते पसंद आने लगे हैं और उनका वास्ता नाश्ते के साथ पढ़ाई से भी जुड़ने लगा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दिशा-निर्देशन में जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ से कोरबा जिले के कक्षा एक से लेकर कक्षा आठवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल खुलने के साथ ही गरम नाश्ता देने की शुरूआत की गई है। दोपहर में मिलने वाले मध्यान्ह भोजन के अतिरिक्त मिलने वाले नाश्ते को खाने के लिए शहर के स्लम क्षेत्रों के विद्यालयों सहित आदिवासी बाहुल्य इलाकों में स्थित स्कूलों में विद्यार्थियों की रूचि स्पष्ट नजर आ रही है।
लगभग तीन महीने पहले 14 अगस्त को कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड सहित कोरबा ब्लॉक के शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में विद्यार्थियों के थाली में गरम नाश्ता परोसने का सिलसिला प्रारंभ किया गया। लगभग ढ़ाई माह तक नाश्ता परोसने और इससे हुए सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए कलेक्टर अजीत वसंत ने जिले के सभी विकासखण्डों में इसे प्रारंभ करने के निर्देश दिए। आखिरकार दीपावली अवकाश के पश्चात स्कूल खुलते ही कोरबा ग्रामीण, पाली, करतला, कटघोरा के शेष स्कूलों में भी नाश्ता देना प्रारंभ कर दिया गया है।