राजधानी से सटे आरंग इलाके में एक चौंकाने वाला और हास्यास्पद मामला सामने आया है, जहां एक बाबा के पानी के ऊपर चलने के दावे की पोल लोगों के सामने खुल गई। इस तथाकथित चमत्कार को देखने के लिए मौके पर तहसीलदार, पटवारी और थाना प्रभारी सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए थे। लेकिन जैसे ही बाबा ने तालाब में कदम रखा, वह पानी पर चलने की बजाय तैरने लगे। बाबा की असफलता देखकर भीड़ में शोर मच गया और लोग इसे अंधविश्वास करार देने लगे।
पानी पर चलने का दावा, तैरते हुए पोल खुली
यह मामला रायपुर के मंदिर हसौद थाना क्षेत्र के आरंग विधानसभा अंतर्गत ग्राम कठिया का है। यहां के बाबा शिवदास बंजारे ने यह दावा किया था कि उनके पास दिव्य शक्तियां हैं, जिनकी मदद से वह पैदल चलते हुए तालाब को पार कर सकते हैं। बाबा ने यह भी कहा था कि वह जलते अंगारों पर चल सकते हैं और बिना तेल के सब्जी-खाना बना सकते हैं। बाबा के इस चमत्कारिक दावे को देखने के लिए ग्रामीणों ने 10 अक्टूबर की तारीख तय की थी।
जैसे ही यह खबर आस-पास के गांवों तक पहुंची, भारी संख्या में लोग बाबा का चमत्कार देखने के लिए कठिया के तालाब के पास एकत्र हो गए। गुरुवार की शाम तालाब के किनारे हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। बाबा अपने समर्थकों के साथ तालाब पर पहुंचे और पानी पर चलने का प्रदर्शन करने लगे। लेकिन जैसे ही उन्होंने पानी में कदम रखा, वह पानी के ऊपर चलने के बजाय तैरने लगे, जिससे उनका दावा झूठा साबित हो गया।
डूबते बाबा की गोताखोरों ने बचाई जान
भीड़ की हंसी-ठिठोली और आलोचना के बीच, बाबा ने तालाब को तैरते हुए पार करने की कोशिश की। लेकिन कुछ दूरी पर जाने के बाद गहरे पानी में जाकर बाबा डूबने लगे। सौभाग्य से, प्रशासन ने गोताखोरों की एक टीम को पहले से मौके पर तैनात किया था, जिन्होंने तालाब में कूदकर डूबते हुए बाबा की जान बचाई।
प्रशासन की मौन उपस्थिति और सवाल
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान तालाब के पास तहसीलदार, पटवारी और मंदिर हसौद थाना प्रभारी भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने भी इस अंधविश्वास को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। प्रशासन की मौन स्वीकृति में यह पूरा तमाशा चलता रहा, जो कई सवाल खड़े करता है।
जब मीडिया के प्रतिनिधियों ने घटना के बाद तहसीलदार, पटवारी और थाना प्रभारी से इस अंधविश्वास के प्रदर्शन पर सवाल पूछे, तो किसी ने भी जवाब नहीं दिया और कैमरों से बचने की कोशिश करते रहे।
सवाल और कार्रवाई का इंतजार
इस घटना ने प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि कैसे एक बाबा को इतने बड़े पैमाने पर अंधविश्वास फैलाने की अनुमति दी गई। प्रशासन की मौजूदगी में हुए इस तमाशे पर क्या कार्रवाई की जाएगी, यह देखने वाली बात होगी।